Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 3 : 6

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 3 : 6

कहरा : 3 : 6

फिर फिर चना चबाय विषय के , काम क्रोध मद लोभ के हो ! 

शब्द अर्थ : 

चना चबाय : इच्छा जागृत होना ! विषय = काम वासना ! काम क्रोध मद लोभ = तृष्णा के विविध रूप ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कहते है माया तृष्णा बडी उग्र बलवान होती है वह कभिभी जागृत होकर मन पर हावी होकर मन को भटकाती है ! स्त्री पुरूष बाल बूढे कोई तृष्णा के मार से बच नही सकते जब तक उससे प्यार करना नही छोडते ! तृष्णा के विविध रूप है और उनसे बचने की विधी केवल एक है मुलभारतिय हिन्दूधर्म का जीवन मार्ग अपनाना शिल सदाचार का पालन करना ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Comments

Popular posts from this blog

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ७६ : राम ही सत्य है ! #रमैनी : ७६माया मोह सकल संसारा * इहै विचार न काहु विचारा माया मोह कठिन है फंदा * करे विवेक सोई जन बन्दा राम नाम ले बेरा धारा * सो तो ले संसारहि पारा #साखी : राम नाम अति दुर्लभ, औरे ते नहिं काम /आदि अन्त और युग युग, मोहि रामहि ते संग्राम // ७६ //#शब्द_अर्थ : बंदा = व्यक्ति , दास , भक्त ! बेरा = बेड़ा , नाव ! आदि = सुरवात का समय ! अन्त = मृत्यु , अंतिम समय ! युग युग = शाश्वत , नित्य ! संग्राम = जीवन संघर्ष ! राम नाम = सत्य का ज्ञान ! #प्रज्ञा_बोध : धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो ये संसार माया मोह इच्छा तृष्णा लालच से ग्रस्त है जिस कारण झूठ फरेब भ्रष्टाचार का राज चल रहा है ! शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित आदिधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म की शिक्षा छोड़कर भ्रष्टाचारी दुराचारी विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के चक्कर में पड़ कर लोग अंधश्रद्धा , बुतपरस्ती , अगणित मन गढ़त देवी देवता की पूजा , उचनिच , अस्पृश्यता विषमता भेदभाव जाति वर्ण के अधर्म में जीवन का लक्ष खो गया है ! इस श्रृष्टि का निर्माता परमपिता चेतन राम को ही भूल गया है और मायावी विदेशी वैदिक ब्राह्मण रावण का पुजारी बन गया है और सुख के बदले दुख ही दुख पा रहा है ! कबीर साहेब कहते हैं भाईयो जब तक तुम विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का अधर्म विकृति त्याग कर सिंधु हिंदू संस्कृति के मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक सुखकारक मूलभारतीय हिन्दूधर्म के निजस्वरूप राम को नही जानोगे , नहीं पहचानोगे और उस चेतनराम के सत्य स्वरूप की उपासना जीवन में नही करोगे युग युग दुख भोगते रहोगे ! मुक्ति और सुख चाहते हो तो झूठ का मार्ग वैदिक ब्राह्मणधर्म को छोड़ कर सदमार्ग , सद्दर्म पर चलो ! विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म और मूलभारतीय हिन्दूधर्म अलग अलग है यही बात कबीर साहेब बार बार समझाते हैं ! #धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस #दौलतराम #जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारतीय #मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान